गुल की पार्टी
यहाँ तो हफ्तों बात नहीं होती। दोनों काम में इतने बिजी। देख अहाना हर किसी को कमी है हमारी दिखती नहीं या ये बोल हम दिखाते नहीं। "
अहाना चिढकर बोली "अब तू बता क्या करूँ यार। पापा इतनी मेहनत कर रहे हैं, माँ भी और मैं भी फिर भी कोई खास कमाई नहीं हो पाती। थोड़ा टाइम रुक ना बस कॉलेज करते ही जॉब करना ना कौन रोका?"
दोनों बातों में मशगूल हैं। गुल जोर से हंसती हुई आती है और कहती है " ओये मुझे एडमिशन मिल गया।"
" कहाँ, ?"सब पूछते हैं।
"लंदन की डांस अकादमी में!"
" ओह वाह यार ये तो बहुत जोरदार खबर है। "
गुलने कहा" हाँ यार एक साल से इंतजार कर रही थी। फ़ाइनली हो गया। बस एक दुख है तुमसे दूर जाने का। "
तीनों खुश भी हैं और दुखी भी.। बड़ा तकलीफदेह होता हैं दोस्तों से दूर होना।
"आज पार्टी होगी!"
"अच्छा कब जाना है अहाना ने पूछा...?"
" बस अगले सोमवार जॉइन करना है तो शनिवार को निकल जाऊँगी। "
"अरे यार! इतना जल्दी। फिर कब आएगी?"
" कुछ पता नहीं ।पर साल में एक बार तो पक्का है ही।
सब इतना जल्दी जल्दी बदलता क्यूँ जा रहा है यार। इतने से दिनों में इतने दोस्त काम हो गए बस 6 ही बचे है।"
" अबे तो मर थोड़ी रही हूँ। तुमसे रोज बात करुँगी।"
"चार दिन में भूल जाएगी । "
"कुछ भी इतने सालों की दोस्ती भुलाना आसान नहीं होता। छोड़ यार बाकी नमूने भी बचपन से ही साथ थे।"
" रीना मैं उनसे अलग हूँ। "
"ओके बाबा" यू आर बेस्ट "
"पर हम खुश हैं ।हमारे कोई दोस्त तो लंदन में पढेगा।
पढ़ने नहीं बाबा डांस सीखने पढ़ाई तो यही की चलेगी। ऑनलाइन परीक्षा दूँगी। तुम ही पढ़ाई करवा देना। " गुल ने समझाते हुए कहा
गुल- "आज रात मेरी तरफ से पार्टी !"
अहाना - "यहाँ हम दुखी हैं तू जा रही है और तू पार्टी दे रही है ।"
गुल- "आखिरी दिनों को तो जी लेने दे यार। "
तीनों गाना गुनगुनाती आगे जाने लगती हैं " ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे तोड़ेंगे दम मगर तेरा साथ ना छोड़ेंगे "
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तभी रास्ते में देव,निशांत, राहुल और गंधर्व टकरा जाते हैं । "कहा चली देवियों की सवारी। "
गुल( खुशी से चिल्लाते हुए )--"यार मैं लंदन अकादमी के लिए सलेक्ट हो गई ।अब वहाँ डांस सीखने जा रही हूँ,।"
"सच, चलो बला टली।"
" ऐ गंधर्व तू ही रोकेगा। सबसे ज्यादा।"
"आई नो आई एम योर क्रश ।"
"अरे वाह, तुझे कैसे पता सब मालूम है ? क्यूँ तेरे दोस्त मेरे भी तो हैं।"
" तो अब पता चल गया ना।"
गंधर्व तुरंत घुटने के बल बैठ गुल को प्रपोज करता है। "चल उठ लोंग डिस्टेंस तेरे बस का नहीं और कोई अंग्रेज पसंद आ गया तो मुझे भूलना मत!"
"मैं इंतजार करूंगा ।दो साल की ही बात है फिर तो मान जाएगी ना।"
" चल पागल ।चलो सब आज रात पार्टी दे रही हूँ। कहाँ वो तुम बताओ मैं बस ले चलूँगी।"
" बढ़िया हमे सोचने दे सोच कर बताते हैं। "
अहाना -" यार मैं जल्दी घर जाकर ट्यूशन ले लेती हूँ। नहीं तो लेट हो जाऊँगी।"
देव- "आज मैं छोड़ने चलूंगा। "
अहाना ने खीजते हुए कहा "चल बाबा चल। "
देव- "अपनी बुलेट के आगे उसे बिठा कर चल ढंग से सिखाता हूँ ।" अब, पर बस थोड़ी दूर घर के आसपास नहीं सब गलत समझेंगे। ओके मैडम जी " ( मजाकिया मूड में)
अहाना मजे से देव के साथ बुलेट चला रही थी।
उसने बताया " देव यार ,रीना जिसकी चाहे उसकी आवाज़ सुन सकती है बस मन में सोचे तो। जैसे अभी अपने बाइक पर जो भी बात कर रहें है सटीक वो ही बात। "
"ओह !, तेरी ग़ज़ब ऐसा सच में होता है क्या? "
"क्या पता उसके साथ तो हो रहा है ।भगवान ही जाने मेरी ओर निशांत की पावर क्या है। "
"तुम्हारा भी वक्त आएगा पुत्री, ज्यादा व्याकुल ना हो। "देव मज़ाक करता है।
" तू सुधरेगा नहीं ना सीरियस बात कर रही हूँ ना।"
देव- "तू साथ होती है ना खुशी के फव्वारे छूट ने लगते हैं और किसी से करूँ मजाक बुरा तो नहीं मानेगी नताशा से कर लेता हूँ। बिल्कुल जा अभी जा। गुस्सा मत हो। "
अहाना बहुत खुश है। वह खुशी से कहती है " देव तू कभी छोड़ कर नहीं जाएगा ना !"
"कहाँ जाऊँ बता।"
" सुन अब जगह बदल लेते हैं ! घर आने वाला हैं यार! हाँ गाड़ी रोक! दोनों जगह की अदला बदली कर लेते हैं। "
देव-(हंसते हुए ) -"अब रोज मैं छोड़ने आऊंगा, ताकि तू बुलेट सीख ही ले अच्छे से। चल पक्का। "
घर आ जाता है। " बाय..बाय देव!, शाम को लेने आना । अच्छा बता तेरा फेवरेट कलर क्या है, मेरा तो ब्लैक, और तेरा ब्लैक वाह पसंद भी मिलती है अपनी तो। चल ध्यान से जा।"
अहाना घर जाते ही अपनी मां से कहा " माँ ,जल्दी खाना दे दो। "
"क्यूँ इतनी जल्दी क्यूँ ?"
"अरे ट्यूशन पढ़ा कर निकल जाऊँगी। गुल है ना लंदन जा रही है पढ़ाई को। बस तो पार्टी देगी इसी खुशी में। "
"कब जाना है?"
" रात 7 बजे और आएगी कब? "
"अब ये क्या सवाल हुआ माँ ?वो लोग खुद घर छोड़ जाएंगे,।"
" तू जरूरत से ज्यादा ही नहीं उड़ रही बेटी माँ ने खीझते हुए कहा?"
माँ तुम्हारे डायलॉग कभी तो नए ज़माने सी बात करा करो तुम। "
"हाँ क्यूँ नहीं, बिल्कुल आजाद हो जा । तू तो कोई रूल रेग्युलेशन नहीं घर के फॉलो करेगी अब तू कॉलेज में जो आ गयी है ना। पापा को फोन कर पूछ । वो हाँ बोले तो ही जाने दूँगी। "
अहाना ( बड़बड़ाते हुए) -" ये कभी नहीं सुधरेगी ज़माना चांद पर जा रहा है और ये रात को बाहर नहीं जाने दे सकती। "
"सब सुन रही हूँ मैं नहीं दे सकती इतनी छूट। तू लड़की है बहुत ध्यान रखना होता है। जिस दिनतेरे बच्चे होंगे तब समझेगी जिम्मेदारी होती क्या है?"
माँ बेटी की बहस चल रही है।
" माँ चुप करो न।पापा को फोन तो करने दे अब।"
अहाना अपने पिता को फोन करती है ।
"पापा, आज मेरी सहेली गुल ने पार्टी दी है ।वो लंदन चली जाएगी। यादगार के लिए।"
" चली जाओ, पर टाइम से आना ठीक है जा।"
"लव यू पापा .. माँ तुमसे लाख गुना पापा अच्छे हैं।"
" हम्म्म, बिलकुल तो खाना भी उनके हाथ का खा लो माँ में तो कांटे है। "
वह फिर सिलाई करने बैठ जाती है।
अहाना जल्दी से उस बच्ची को ट्युशन के लिए बुला लेती है।
जब तक बच्ची नहीं आ रही ड्रेस निकाल के रख लेती हूँ।
" माँ ये ब्लैक फ्राक के लिए एक गुलाब सिल दो ना मेहरून कलर का।"
" दिखा कैसा क्या बोल रही है ?"इंदुजी ने खीजते हुए कहा।
अहाना माँ को डिजाईन बता देती है।
अहाना की माँ इतनी अच्छी सिलाई करती है कि बुटीक ही खोल ले।
लेकिन हर चीज में पैसा आड़े आ ही जाता है।
अहाना बच्ची को टेस्ट देकर चेहरे पर दही और कॉफी का फैस पैक लगा लेती है ताकि चेहरे पर चमक दिखे।
वैसे वो काफी सुंदर है पर देव के लिए सारे जतन किए जा रहे हैं। हो भी क्यूँ ना इतने सालों बाद जो इजहार हुआ है ।
टेस्ट लेने के बाद अहाना थोड़ा आराम कर लेती है।
क्यूंकि कुछ घण्टों बाद तैयार होना है।
अहाना की माँ उसकी ड्रेस के लिए सुन्दर सा फूल बना देती है और पिन अटैच कर देती है, ताकि जब वो चाहे लगा ले।
अहाना उठकर तैयार होना शुरू करती है।
उस दिन पहली बार अहाना बड़े चाव से सज रही थी और माँ तो माँ है।
" अहाना बेटा ,कुछ स्पेशल है आज,?"
"नहीं तो माँ!"
"तो इतना अच्छे से तू पहले कभी सजी नहीं है?"
अहाना मुस्कराते हुए कहती है "माँ फोटो में अच्छी नहीं दिखती हूँ इसलिए!"
" मेरी बेटी लाखों में एक है! कुछ दिया ना दिया हो तुझे मैने सुंदरता भरपूर दी है।"
"हाँ माँ, उसके लिए थैंक्स, अब बातों में मत उलझाओ । प्लीज प्लीज़ तैयार होने दो।"
" हो जा। "
अहाना पूरी तरह से तैयार आती है।
ऐसा लग रहा है मानो उसकी पहली डेट हो।
ख़ुद की फोटो लेते हुए नीचे से देव हॉर्न देता है।
अहाना मुस्कुराते हुए कहती है "आ रही हूँ। "
वो सीडी से उतर कर नीचे आती है।
माँ उसे खिड़की से देख रही है।
ये देव देख लेता है।
तो जब वो अहाना को देखता है कुछ बोलने के लिए सोचता है लेकिन अहाना की माँ का डर उसे रोक लेता है।
अहाना अपनी मां को बाय करती है।
" बाय आंटी टाइम से छोड़ दूँगा चिंता नहीं करना ।"
वहीं सामने की दो तीन औरतें बातें बना रही हैं, अहाना के तो कुछ ज्यादा ही पर निकल आयें हैं जब से कॉलेज जाना शुरू किया है।
माँ अच्छे से सुन तो नहीं पाती लेकिन इतना आभास उन औरतों के हाव भाव से जरूर लगा लेती हैं कि अहाना के लिए कुछ गलत बोला जा रहा है।
वहाँ से हट कर अपने काम में लग जाती है।
देव अहाना से कहता है। "अहाना तू यार इतनी सुन्दर पहले कभी नहीं लगी थी। आज सच में ऐसा लग रहा है कोई हिरोइन मेरे साथ है। "
अहाना शरमाते हुए कहती है "ये कुछ ज्यादा नहीं हो गया, सुन तू भी अच्छा दिख रहा है। "
देव आश्चर्य से कहता है " कुछ अजीब तो नहीं हुआ ना तेरे साथ!
अहाना - नही अभी तक तो कुछ नहीं जो होगा अचानक ही होगा जैसे तेरे साथ हुआ। "